17 June, 2012

वो मेरा कभी था ही नही


आज प्यार हो गया उससे
जो मेरा कभी था हि नहीं
बरस बिता दिए उन दिनो कि ख्वाहिश में
जो यादें मेरी थी ही नही

उसे याद करके जो मुस्कुराया करता था मैं
वो खुशी भी मेरी न थी
उससे जुदाई में जो आँसू मैने बहाए
वो आँसू भी मेरे ना थे

जब उसे पाने के लिए, दुनिया जीत ली थी मैने
उसकी खुशी की खातिर, होंठ सी लिए थे मैने
बरसो उसके ही लिए, खामोशी की लहरो पे नाव खेता रहा
उसे हो ना कोई तकलीफ़, इसीलिए ज़माने के पत्थर सहता रहा
आज जाना है टूटे दिल ने मेरे
वो दुनिया भी मेरी ना थी, वो तकलीफ़ भी मेरा ना थी

उससे एक खामोश वादा कर, उसका शहर छोड़ चला था मैं
खुदको उसके काबिल बनाने, खुदको बदलने चला था मैं
उसकी मंज़ूरी पाने में डूबा, उसीको खो दिया मैने
आज वो मेरे साथ तो है
बस जिन आँखों को दिल ने चूमना चाहा था
वो आँखें मेरी ना हैं

उसकी मुस्कान मुझे दिखती तो है
खिलती है बदलती है मचलती तो है है
वो आँखें भी शरारत से इठलाती तो हैं
पूछती है अनकहे सवालो जा जवाब भी दे जाती है
सवाल पूछने का हक़ तो मिला मुझे
पर वो जवाब मेरे लिए ना थे
उसकी मुस्कान मैने उसकी यादों से वापस खोजी
पर वो यादें मेरी ना थी

एक बात जो दिल में बसा रखी थी,
आज उससे वो कह भी दी है
एक तमन्ना जो दिल में दबा रखी थी
आज वो उसने सुन भी ली है
जो दिया उसने मेरी ख्वाहिश के बदले
वो ख्वाहिश मेरी न थी
पर स्वीकारा मैने उसने जो भी दिया
क्योंकि जो माँग मैने की थी
उसकी तक़दीर मेरी ना था

उसके प्यार में खुदको बदला है मैने
आज भी वो मुझमे कहीं है
बस ख्ता इतनी ही रह गयी
अब वो मैं भी मैं ना हूँ

मेरी कहानी की वो कश्ती तो है
मेरी कहानी उसके बिना अधूरी सी है
पर उसकी आज कहानी का
वो हिस्सा मेरा नही
जिस दिल का प्यार उसने माना
वो दिल मेरा तो नही

आज फिर प्यार हो गया उससे
जो मेरा कभी था ही नही


विशाल गुप्ता
फ़रवरी १२, २०१२