बूँदें
फिर बारिश हुई, और दिल की कश्ती ने यादों की लहरो को थाम लिया
थोड़ा हमने ज़िंदगी को बहने दिया, थोड़ा ज़िंदगी ने आँखों को भिगा दिया
थोड़ी यादें उस चेहरे की आईं, जिसे देख खुदको भूल जाया करते थे हम
थोड़ी यादें उस लम्हे की, आख़िरी बार बाहें छोड़ वो दूर चल दिया था जब
कुछ यादें उस दोस्त की भी हैं, जिसका हाथ पकड़ साथ चलने का सपना देखा था
कुछ दर्द उस वक़्त का भी, जब महसूस हुआ वो साथ नही है अब
वो दिन भी याद हैं, जब माँ की गोद में सर रख सोया करते थे
अब नींदें सिर्फ़ दुनिया से आँख मूंद लेने का ज़रिया हो गयी हैं
वो दिन याद हैं, जब रखी का दिन होठों को मीठा कर जाता था
अब उन राखियों बिन कलाइयाँ सूनी लगने लगी हैं
ज़िंदगी की गहराइयों में गोते इतने गहरे लिए, के अब याद नही वापस किस ओर जाना है
दिल ढूंढता है रोशनी, पर ज़हन को अभी और दूर जाना है
कभी साँस लेने आए, तो दिल की कश्ती ने यादों की लहरो को थाम लिया
थोड़ा हमने ज़िंदगी को बहने दिया, थोड़ा ज़िंदगी ने आँखों को भिगा दिया
विशाल गुप्ता
जनवरी 31, 2014