11 May, 2013

कुछ और


कुछ और मर्तबा जी लेगी ये ज़िंदगी
जो गम तुमने दिए हैं, पी लेगी ये ज़िंदगी
माना कि तुमने इसे है दिया छोड
पर अभी तुम्हे नही छोड़ पाई है ये ज़िंदगी

जाने किस बात कि उम्मीद बाकी है रह गयी
जाने कौन सी वो बात है जो कहने को रह गयी
शायद कुछ अनकहे लवज़ो की चाहत दिल में बाकी है
शायद तुम्हे पाने कि आस दिल में बाकी है

शायद तुम्हे वापिस करनी है कुछ तस्वीरें
जिनमे तुम्हारी मुस्कान खिलखिलती है
शायद तुम्हे वापिस करनी हैं वो यादें
जो तुम्हारी मेरे पास रह गयी हैं

जानता हूँ, तुम्हे बहुत दुख दिए हैं मैने
तुम्हे प्यार कर, कई शिग्वे किए हैं मैने
पर अगर इस जुर्म के लिए मुझे शर्मिंदा ही रहना है
तो तुमसे प्यार है मुझे, दोबारा ये कहना है

इन शब्दो पर अब कलम रखता हूँ
तुम खुश रहो, एक यही दुआ करता हूँ
तुम्हारी शक्ल अब जब भी दिखे, होठों पर मुस्कान हो
आँखों में न हो गम की बूंदे, न ज़हन में मेरी याद हो

- विशाल गुप्ता
जनवरी 4, 2013