- Both have short-lived mood swings; both don’t know when to drizzle, when to rain, and when to pour
- They’re both mean and heartless, and try to push me around for no reason
- They’re both hot as hell
- Both have often asked me to pay their bills
- They both fuck with me on a regular basis. However, in both cases there’s no sex involved
- A lot of times I want to run away from it (“it” refers to both of them); but I stay, not knowing why
- Both hardened me for times to come; giving me the lessons I needed to live a great life elsewhere
- Periodically, and somewhat predictably, they’ll pour down and when they do all I can do is sit back in terror, trying to pry my way through life
- Both have often asked me to help them out with excel modelling
- I do like being close to them, and when they’re away I do miss them
- Both are carelessly beautiful
25 January, 2016
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20 November, 2015
सुना है यहाँ लोग कुछ अच्छे हैं
रूठीं मायूस कुछ यादें, कुछ अनकही सी सुर्मयि बातें,
कुछ आँखें जो नम हैं, कुछ जज़्बात थोड़े कम हैं,
याद दिलाते हैं कुछ अल्फ़ाज़, जिन्हे छोड़ आगे आ चले हम
ढूँढने फिर से, उन यादों की दुनिया, जहाँ थी मेरी खुशियाँ और गम
जाते जाते वो पल अपना एहसास छोड़ गया
ज़ोर से थामा उसने मुझे, और फिर झकझोड़ दिया
उसकी खुश्बू के सहारे अब उसकी ओर बढ़ता हूँ
फिर उसे एक दफ़ा थामने, उसकी तरफ चलता हूँ
पूछा था उससे की किस तरह मुझे छोड़ पायेगा
जो प्यार उसने दिया, वो फिर कौन दे पाएगा?
"तुम्हारे जाने के बाद हमसे प्यार कौन करेगा?" आख़िरी लफ्ज़ थे
उस दिन उसके पास कोई जवाब न था, सिर्फ़ बाहों का सहारा था
बीते हुए कल में आने वाले कल के लिए वो आज में जीने कहता था
मैं रहता था जज़्बातों बिन वो मेरे दिल में रहता था
अब जीता हूँ आज में पर उसके बिन जीवन फीका है
तो अब भी रहता हूँ कल की याद में जहाँ उससे रिश्ता मीठा है
भूला सा यादों की ख्वाहिश में, भटके प्रेमी से तुलना होती है
आख़िर प्रेम के लिए क्या, एक सही लम्हा ही तो ज़रूरी है
एक याद, एक मुस्कान, थोड़ी-सी चमक आखों की
एक हँसी, एक घाव, एक बातों की रात
वो कहते हैं पागल हूँ मैं, मैने कल को नही देखा है
पर सच पूछो तो आज तक, मैने तो सिर्फ़ कल को ही देखा है
नन्ही अटखेलियों को, मैने डग-डग चलते देखा है
कल को संवारने के ख्वाबों में, आज को जलते देखा है
पुरानी वास्तविकताओं को अब मैं डोर छोड़ आया हूँ
अब कल्पनायों का जीवन संगीन सा लगता है
दूर कुछ छूटी टिमटिमाती रोशनियाँ नज़र आती है
सोचता हूँ अब वो दूर ही अच्छी दिखती हैं
हड़बड़-गड़बड़ के अतीत में, जल्दी जीने की होड़ थी
मौत को दूर खड़ा किए, ज़िंदगी एक पागल दौड़ थी
कभी सोचा ही नही की जीवन धीमा और मौत तेज़ आनी चाहिए
बीते कल में जीवन तो तेज़ बीतता था, और मौत धीमे से रोज़ आती थी
तो चलते चलते पहुँचा उन गलियों में, जहाँ उसकी खिलखिलाहट आज भी गूँजती है
तोड़ा गरम किया इन गलियों को, तो कोहरा आज भी उठता है
कुछ सुनी-सुनी सी, देखी सी हैं ये, ऐसा मुझे भी लगता है
सोचता हूँ क्या इन्हे भी मेरा नाम पता होगा?
कभी इन्होने मेरी तस्वीर देख, उसे नाचते देखा होगा?
भूले से मेरे मुख को देख, कोई खैरतिया आकर पूछ जाता है?
"अमा यार, किसे ढूँढते फिरते हो? क्या लेकर आए थे और क्या लेकर जाओगे?"
मैं मुस्कुरा कर उससे कह देता हूँ, की खुशियों की परच्छाइयाँ ढूंढता फिरता हूँ
क्या उसने देखी है? उससे पूछ पड़ता हूँ. कुछ नाता सा था उनसे, थोड़ी रूठ सी गयी हैं
"खुशियाँ तो शहरो की अमानत है," वो कहता है, "यहाँ तो सिर्फ़ चन्द लोग बस्ते हैं"
मैं हंस के कह देता हूँ, "वही तो बात है ना जनाब, सुना है यहाँ लोग कुछ अच्छे हैं"
विशाल गुप्ता
२९ अक्टोबर २०१५