जी बात बस
इतनी सी है
की बस बहुत
हो गया
जो आपने जानी
वो हर बात
मानी
जो दिल में
थी ख्वाहिशें, सब
"कुछ दूर और"
के लिए ठानी
पल-पल मरते
हम कुछ रुआं
से हो गये
कुछ समझे आप,
कुछ हमसे जुदा
हो गये
अजी ये तो
समझिए, के जीवन
का हर षण,
कर दिया हमने आपका
पर आज बात
बस इतनी सी
है की बस
अब बहुत हो
गया
पहले भी आपकी
ख्वाहिशों के परवाने
हम बने हैं,
कुछ रास्ते हमने सिंचोए,
कुछ छोड़ चलें
हैं,
बस इस उम्मीद
में के शायद
आपकी एक छोटी
खुशी का हिस्सा
बनें,
बस यही चाहा,
की आपकी कहानी
हो और हम
किस्सा बनें,
पर आपने पूछा
हमारी नादानी देख
के हमने ऐसा
भी क्या एहसान
किया
तो आज बात
बस इतनी सी
है की बस
अब बहुत हो
गया
अब नहीं पता,
जीवन किस रुख़
ले जाएगा,
क्या ये अब
सुबह की मुस्कुराहटें
देगा, या अभी
और सताएगा
पर ये पता
है, की ये
आने वाली खुशियाँ,
गम, जीत, हार,
सब मेरे अपने
होंगे
और आपसे शिकायतों
का अब नाता
ना होगा, ना
दर्द ना भय
ना खेद का
खुलासा होगा
आँखों में आँसू
हैं, पर इन
आँसुओं का रिश्ता
आज बस मुझ
तक रुक गया
ज़्यादा कुछ नही,
बात बस इतनी
सी है की
बस अब बहुत
हो गया
आपका सारा जीवन,
मेरी खुशियाँ संवारने
में बीट गया,
और जब मुझे
ग़लत रास्ते देखा,
तो खुदको मेरी
मंज़िल के बीच
ला खड़ा किया
पर इतनी बार
आपको अपने सामने
खड़ा देख, अब
खुदपे भरोसा नही
होता है
जिस दिन आप
सामने नही रहोगे,
उस दिन से
डर-सा लगता
है
अब अकेले चलने, गिरने,
संभालने का वक़्त
आ गया
जिन मंज़िलों को भूला,
उनकी तरफ कदम
बढ़ाने का वक़्त
आ गया
जिन ख्वाबों को मरने
छोड़ा था, उन्हे
फिर ढूँढना है
ख्वाबों की पंखुड़ियों
से, एक और
सपना तोड़ना है
पता नही सपने
टूटेंगे या मुझे
ही तोड़ देंगे
पर अब अकेले
बढ़ने का समय
आ गया
बात तो बस
इतनी सी ही
है, की बस,
अब बहुत हो
गया
विशाल गुप्ता
१४ जनवरी २०१६