23 February, 2019

वो

आज शाम के एक शांत लम्हे में
ज़हन ने दिल से एक सवाल कर लिया
वो कौन है जिसकी याद में
तुमने खुद से ही दगा कर लिया

वो... वो तो बस याद है किसीकि
जो एक बार जाए तो सिर्फ़ आँखों के रास्ते निकलती है
वो मौजूदगी है किसीकि
जो ना रहे तो दिनो-दिन ख़टकती है

वो उड़ता हुआ परिंदा है, बाहें फएलाए आसमाँ समेटने निकला है
वो डूबता सा सूरज है, कल फिर रोशनी देने आज शहादत पर निकला है
वो कड़कड़ाती हुई धूप है, और उससे बचाता घना पेड़ भी
वो सर्दी में बर्फ ठिठुरती रात है, और कंबल ओढ़े प्यारी नींद भी

वो हलक में अटकी हुई साँस है
वो सब कुछ खो देने का एहसास है
वो दर्द है जो मौत की दुआ मांगती है
वो ज़ख़्म है जो इलाज नही जानती है

वो किसी बेबाक शायर की अधूरी इल्म है
वो अधूरी सी सजी हुई एक दुल्हन है
वो इश्क़ है, जो पूरा ना हो पाया
वो बात है, जो मैं कभी कह ना पाया

वो रंगो की तश्तरी में उभरती तस्वीर है
वो शब्दो में लिपटी सी कहानी संगीन है
वो महफ़िल में घुंघरू पहने तो नाच है
वो अदा से गुनगुना दे तो राग है

वो टूटते तारे से माँगी हुई ख्वाहिश है
वो समुंदर में पूनम के चाँद की परछाई है
वो कोसो दूर तक फैला हुआ अंधेरा है
वो अमावस के बाद का सवेरा है

वो ज़िंदगी में किसी के आने के बिल्कुल पहले की बेचैनी है
वो टूटते रिश्ते की आख़िरी ग़लतफहमी है
वो इंतेज़ार में जागते रातों के बीतते लम्हे है
वो इंतेज़ार के बाद मिलने के नगमे है

वो... वो याद है, एहसास है, उमंग है, जहां है
वो तकलीफ़ है, प्यास है, दर्द है, इंतेज़ार है
वो साँस है, ताक़त है, जुनून है, हिम्मत है
वो प्यार था, वो प्यार है, वो कल था, वो आज है

विशाल गुप्ता
16 August 2018

11 February, 2019

जो बीत गयी वो बात कहाँ

जीवन में एक सितारा था
वर्षों उसे प्यार से संवारा था
वह डूब सके हम माने नही
अंबर के आंगन को देखो
तारे कभी छूट पाये
सदियों तक ये दिशा बताए
फिर अंतत: हमसे जुड़ जाएँ
अंबर की टोली में क्योंकि
शोक नही कभी होता है
जो बीत गयी वो बात कहाँ

विशाल गुप्ता