01 November, 2011

मौत


मौत से डर नहीं लगता जनाब
डर तो ज़िंदगी से लगता है
मौत तो अपनी महबूबा है, एक दिन ज़रूर आएगी
ज़िंदगी बेवफा है, कब तक साथ निभाएगी?
ज़िंदगी ने हर पल दुख दिए
मौत तो एक ही बार आएगी
ज़िंदगी ने साथ निभाने का वायदा जो किया था
वो वादा भी अब मौत निभाएगी
ज़िंदगी ने बहुत ज़ुल्म किए
मौत ज़ुल्मो से दूर ले जाएगी
मौत तो वफ़ा निभाएगी
ज़िंदगी बेवफा कहलाएगी
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विशाल गुप्ता
अक्टूबर १६, २०११